Kubera Movie Review: धन और नैतिकता के संघर्ष की गूढ़ कहानी



कुबेरा मूवी रिव्यू: धन, नैतिकता और सत्ता की जंग

Kubera Movie Review: धन और नैतिकता के संघर्ष की गूढ़ कहानी

Credit : AI images

निर्देशक: शेखर कम्मुला
कलाकार: धनुष, नागार्जुन, रश्मिका मंदाना, जिम सार्भ
संगीत: देवी श्री प्रसाद
रिलीज डेट: 20 जून 2025
भाषा: तमिल, तेलुगु (हिंदी डबिंग जल्द)


🎬 कहानी का सार

‘कुबेरा’ सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि एक प्रतीक है – धन, शक्ति और जिम्मेदारी का। फिल्म की कहानी एक भिखारी से शुरू होती है, जो परिस्थितियों से लड़ते हुए एक धनिक बनता है। लेकिन सवाल उठता है – क्या सिर्फ पैसा ही इंसान को शक्तिशाली बनाता है या उसकी सोच, नैतिकता और आत्मबल भी मायने रखता है?

मुख्य किरदार (धनुष) की यह यात्रा बेहद प्रेरणादायक है, पर उसमें कई नैतिक द्वंद्व, समाज की असमानताएं और सत्ता के खेल भी शामिल हैं। नागार्जुन एक धनी लेकिन नैतिक रूप से जटिल किरदार में नजर आते हैं जो हर कीमत पर और अधिक पाना चाहता है।


🎭 अभिनय और किरदार

  • धनुष ने अपने किरदार में जान डाल दी है। उनका किरदार गरीबी से उठकर शक्ति की ऊँचाइयों तक पहुंचता है, लेकिन अंत में वो अपने अंदर की मानवीयता और भावनाओं से टकराता है।
  • नागार्जुन का अभिनय ठहराव और गहराई से भरा हुआ है। उनका किरदार दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देता है – क्या धन से सब कुछ खरीदा जा सकता है?
  • रश्मिका मंदाना एक ऐसी महिला की भूमिका में हैं जो भावनात्मक रूप से मजबूत, संवेदनशील और संघर्षशील है।
  • जिम सार्भ और दलिप ताहिल जैसे सहायक कलाकारों ने भी दमदार प्रदर्शन दिया है।

🎶 संगीत और तकनीकी पक्ष

देवी श्री प्रसाद का संगीत फिल्म को भावनात्मक गहराई देता है। खासकर बैकग्राउंड स्कोर कई दृश्यों में रोंगटे खड़े कर देता है।
छायांकन (निकेत बोम्मिरेड्डी) और प्रोडक्शन डिजाइन (ठोटा तरणी) फिल्म की भव्यता और यथार्थवाद को सुंदरता से दिखाते हैं।


📽️ निर्देशन की बात

शेखर कम्मुला की यह अब तक की सबसे महत्वाकांक्षी फिल्म मानी जा सकती है। उन्होंने समाज की सच्चाइयों को बिना लाग-लपेट के पर्दे पर उतारा है। फिल्म में हर फ्रेम सोच-समझकर रचा गया है – न तो कोई फालतू ड्रामा और न ही दिखावटी हीरोइज्म।


📌 फिल्म के मुख्य संदेश

  • समाज में अमीर और गरीब के बीच की खाई केवल आर्थिक नहीं बल्कि मानसिकता की भी होती है।
  • शक्ति पाने की इच्छा कभी-कभी इंसान को खुद से दूर कर देती है।
  • सच्ची संपत्ति सिर्फ पैसा नहीं बल्कि इंसानियत और संवेदना होती है।

🌟 क्या देखें? क्या छोड़ें?

देखने लायक:

  • मजबूत पटकथा और संदेश
  • दमदार अभिनय, खासकर धनुष और नागार्जुन का
  • सामाजिक विषयों पर गहराई से विचार

न छोड़ें यदि: आप गंभीर सिनेमा, सामाजिक सरोकार और कला-संवेदना वाली फिल्में पसंद करते हैं।


अंतिम विचार (Final Verdict)

‘कुबेरा’ 2025 की उन चुनिंदा फिल्मों में से है जो आपको केवल मनोरंजन नहीं देती, बल्कि सोचने पर भी मजबूर करती है। अगर आप एक गहराई से सोचने वाली फिल्म देखना चाहते हैं, जो सामाजिक और व्यक्तिगत पहलुओं को एक साथ पिरोती है, तो कुबेरा आपके लिए एक अनमोल अनुभव हो सकता है।



Post a Comment

Previous Post Next Post